Miss you Papa!

आज पापा को गए हुए 1 साल हो गए। 22 मई, 2021 की वो रात मेरे जीवन की सबसे कठिन रात थी, जब मुझे उनकी अगली यात्रा के बारे में बताया गया।

और कठिनतम था यह बात सुबह तक अपनी माँ से छुपाना। खैर, पता नहीं कैसे हम सबने वो वक़्त गुजारा।

कोरोना ने बहुत ज़िंदगियाँ ली हैं, लेकिन यह कोई नहीं सोचता कि इस तरह की घटना उसके परिवार में भी हो सकती है।पर जब अकस्मात् यह आपके साथ होता है तब आपके सोचने-समझने की क्षमता शुन्य हो जाती है।

“मेरे पिता एक बेहतरीन इंसान थे, खूबसूरत, जिंदादिल। जो भी उन्हें नज़दीक से जानते हैं, वो उनके जिंदादिल स्वभाव से परिचित हैं।”मैंने उनसे सीखा कि दूसरों की ख़ुशी में कैसे खुलकर नाचते हैं और उनके गम में कैसे उन्हें ढांढस बढ़ाते हैं। उनकी कमी जीवन के हर मोड़ पर महसूस होती रहती है, होती रहेगी।

कोई भी आपके पिता की जगह नहीं ले सकता। पर हमें उनका आशीर्वाद मिलता रहता है। यह मुझे कई स्थितियों में महसूस होता है कि वो मेरे साथ हैं, अपना सहयोग बनाये हुए हैं। शायद एक बाप की चिंता मृत्यु के बाद तक रह जाती हैं। वो मृत्यु के बाद भी अपने बच्चों और परिवार को सकुशल और खुश देखना चाहता है।

कई बार हमें लगता है कि ‘यूँ कर लेते’ या ‘वो कर लेते’ तो शायद उन्हें बचा लेते। पर मृत्यु को कौन टाल सका है। स्वयं भगवान श्रीराम भी राजा दशरथ के लिए उसे टाल नहीं पाए। वही अंतिम सत्य है। पापा जहाँ भीं होंगें, आज भी पूरी जिंदादिली और उत्साह से अपने कर्मयोग में लगे होंगें। और उनकी यही शिक्षा मुझे अर्जित है, मेरे अंदर समाहित है।

“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।

मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि ॥”

उसी क्रम में भगवान आगे कहते हैं कि –

“नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।

न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।”

I miss you, Papa. Everyone in the family misses you.

Your friends, extended families, relatives, and everybody who has known you, miss you.

I know you’re watching all of us from the heaven up there. We could all feel the cocoon of protection you’ve built around us, even today.

I aspire to fulfil everything that you had imagined for the entire family and society.

Love you.

Sagar Yadav

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