I am speechless, emotional, happy, and relaxed at the same.
This kid has joined me almost 3+ years back when GoldBucks was just a dream.
I had already set up my 1st company in Gurgaon and was looking for founding another in Noida/Noida Extension.
He came along with other initial people I’ve hired.
I remember him as a shy, introverted, naïve, fresher boy, who had little knowledge about the real estate market.
We worked really hard in that duration and GoldBucks Realty got the PVT LTD status and also got approval from RERA.
All this while, I’ve seen him as a young energetic boy, full of hopes and learning ability to becoming a leader what he is today.
And do you know what gives you more happiness than you buying a car?
When your kids buy one for themselves.
The dream of Goldbucks is not only to become the best consultant in the real estate market.
But to also ensure that my people get the best remuneration for their efforts, on time and at a fair rate.
I am not very fond of making money, but rather I aspire to hold all my close people together, and make a team that no one has.
People often ask me, how was I able to retain so many talented and hardworking people with me?
People who even got offers from Google and Hyundai India and still chose to remain with me.
And I simply answer that I make sure they get their due credit, remuneration, and training with full honor.
And I make sure that I give my every ounce of blood and sweat to their progress.
Because the dream is not limited to being best in real estate, but to being best in terms of accomplished and most knowledgeable, loving, and caring people.

Original Post by Rupak Singh, Manager, GoldBucks Realty:
सब आपकी तरक्की देखते हैं, नहीं देखते अगर कुछ तो उस तरक्की के पीछे की मेहनत।
आज मैंने २४ साल की उम्र में अपना तीसरा सपना पूरा किया है – ब्रांड न्यू होण्डा सिटी (पल्सर २०० NS और राडो की घड़ी के बाद).
जब ४ साल पहले इंजीनियरिंग कॉलेज से निकले, तो ज़िंदगी इत्तेफ़ाक़न रियल एस्टेट में ले आयी।
माँ बाप के पैसे पढ़ाई में खर्चने के बाद किसी भी २०-२१ साल के लड़के की हिम्मत नहीं होती कि वो और पैसे मांग सके।
कॉलेज ख़तम होने के बाद सबको अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है। तो हम भी चल दिए इस सफर में अपनी किस्मत बदलने।
पर सफर की शुरुवात तो पैदल ही हुयी। पैदल चल रहे थे, तो सपना था कि काश! एक दिन मेरे पास भी बाइक हो जाती तो मज़ा ही आ जाता।
पर वो इतना आसान नहीं था। हो सकता है आपके लिए हो, पर मेरे लिए तो बिलकुल नहीं था।
ये मार्केट बाहर से जितनी आसान दिखती है, अंदर से १००० गुना मुश्किल है।
और मुश्किल ये काम नहीं है, बल्कि मुश्किल है १ अच्छा सीनियर या गुरु मिलना, जो आपको एक शिक्षक की तरह काम सिखाये, गिरने पर उठाये, और समय आने पर आपके अंदर नेतृत्व की क्षमता विकसित करे।
और ये मुश्किल काम उस नामचीन कंपनी के अंदर रहकर नहीं हो सका, क्यूंकि… छोड़िये। क्या ही बोलूं?
तो कुल मिलाकर, अपने हिस्से की रगड़ हमने खायी, और इससे पहले की हम उस रगड़ से शहीद हो जाते, एक बेहतरीन इंसान से मैं टकराया, जिनका नाम इंडस्ट्री के उभरते हुए सितारे की तरह चारो तरफ सुना जा रहा था।
और उस समय वो अपनी पहली रियल एस्टेट कंपनी मेज़न इंफ्राटेक को गुडगाँव में स्थापित करने के बाद नॉएडा एक्सटेंशन को फोकस करते हुए GoldBucks Realty की नींव रखने वाले थे।
मैं किसी तरह उनके साथ चलने वाली भीड़ का हिस्सा बन गया, और धीरे धीरे उनका स्टूडेंट बनकर सारे गुण सीखता गया।
२ साल तक बहुत सारे उतार चढ़ाव, गलतियों, Breakdowns और Bounce Backs के साथ चलते-चलते आज मैं इस मक़ाम पर पहुँच पाया हूँ, कि परिवार के लिए एक निश्चित आय कमाने के साथ साथ, अपने २ सपनो को टिक लगाने के बाद, खुद के लिए 1 Brand New #Honda_City खरीद पाया हूँ।
और इसका श्रेय मैं अपने उस गुरु Sagar Yadav Sir को देना चाहता हूँ, जिन्होंने मुझे उस समय भी पकड़ के रखा, जो मेरी ज़िंदगी का और रियल एस्टेट की लर्निंग का सबसे संघर्षशील समय था।
उनके साथ-साथ अपने Team Leader Kshitij Mathur सर के सहयोग और Teachings के लिए भी कृतज्ञता प्रेषित करता हूँ, जिन्होंने GoldBucks Realty की शुरुवात से ही मेरी सफलता के लिए काफी मेहनत की है।
आज भावुक हूँ, और हैरान भी कि मात्र १ साल पहले तक भी सैलरी की चिंता करने वाला लड़का आज इतनी महँगी गाड़ी का मालिक कैसे बन सकता है? इतनी महँगी घड़ी कैसे पहन सकता है? अपने घर वालो को प्राउड कैसे महसूस करा सकता है?
पर क्या मैं पिछले १ साल में ये सब कर पाया हूँ? देखने में तो यही लगता है।
पर सच्चाई में उसके पीछे के ३ साल जिन्होंने बार-बार गिराया, हिम्मत तोड़ी, गलतियां कराई, और उन सालों में एक ऐसे गुरु का साथ जिन्होंने बार-बार उठाया, हिम्मत बढ़ाई, गलतियां सुधारी; इन सभी चीज़ों ने मिलकर आज इस मुकाम तक पहुंचाया है।
तो अगर आप आज ऐसे वक़्त से गुज़र रहे हैं, जहाँ आगे की तरफ आपको कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा, तो आप मेरी बात का यकीन करें, कि कल सफल हो जाने के बाद, आपको यही वक़्त सबसे ज़्यादा याद आएगा, बशर्ते आप दौड़ते रहें, भागते रहें, न भाग पाएं तो चलते रहें, और चल भी न पाएं तो रेंगते रहें, पर रुकें मत।
जय GoldBucks !