Is It Necessary To Argue With Friends on Political Matters?

किसी भी प्रकार की ‘बहस’ मानसिक दबाव की स्थिति पैदा करती है, चाहे वो आपने अपने कामवाली बाई से की हो या अपनी लुगाई से।

दोस्तों के बीच कई बार किसी पोलिटिकल पार्टी या सरकार को लेकर बहस छिड़ जाती है, और बात ज्यादातर इतनी बढ़ जाती है कि उनकेे बीच तनाव उत्पन्न हो जाता है।

अरे, भाड़ में जाये वो पार्टी और भाड़ में जाये सरकार। और भाड़ में जाये हर वो चीज़ जो किसी भी रिश्ते में तनाव पैदा करे।

दोस्त, दोस्ती और रिश्ते अधिक ज़रूरी हैं, ना कि बहस का जीतना।मुद्दों पर बहस करना अच्छी बात है, पर उससे ज्यादा अच्छी बात है ‘अपना मुंह बंद रखने की छमता’ विकसित करना।

और सही समय आने पर उसका सही जगह इस्तेमाल करना।कुछ लोग कहते हैं कि वाद-विवाद करने से मानसिक छमता विकसित होती है।

जरूर होती है, पर सिर्फ तब जब दोनों इस बात को समझते हों कि ये सिर्फ एक ‘चर्चा का विषय’ है ना कि हार-जीत का मुद्दा।

GoldBucks Realty Team – Office Party Photos

अगर वाद-विवाद बहस की तरफ बढ़ गयी तो मानसिक छमता नहीं मानसिक दबाव बढ़ेगा, जो अंततः हमारे विकास में बाधक साबित होता है।

इंसान का दिमाग एक बहुत ही रहस्मयी चीज़ है। आप जिन बातों को याद रखना चाहते हैं, वो ये भूल जाता है।

पर जिनको आप भूलना चाहते हैं, ये उन बातों की बार-बार याद दिलाता है।तो निष्कर्ष ये है कि रिश्तोंं को अहमियत दें, न कि बहस या वाद-विवाद को।

यकीन मानिए आप बहस भले ही हार जाएं, पर आप इंसान को जीत लेंगे।

शुभकामनाएं।

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